दर्द कि रात हैं और आंखों में नमी हैं हर लम्हा कह रहा है बस तेरी ही कमी हैं
नजर से दुर रहकर भी मुझ पर नजर रखते हो आखिर क्या बात है जो इतनी खबर रखते हो
लगता है तुम मोहब्बत भी बरसात की मौसम की तरह निभाते हो आखिर क्या बात है जो इतनी खबर रखते हो
हद से ज्यादा करीब आने को जी करता है तेरे होंठो को मेरे होंठो से छू जाने को जी करता है तुम हो मेरे बेताब दिल की धड़कन तुम्हे अपना बनाने को जी करता है
सांसो मे रहकर तुम हमारे मेहमान बन गए बात ऐसी थी कि तुम हमारी मुस्कान बन गए लोग पास रहकर भी हमारे न बन सके और आप दुर रहकर भी हमारी जान बन गए
सपना है आंखों में मगर नींद कही और हैं दिल तो है जिस्म में लेकिन धड़कन कही और हैं केसे बया करे हाल ए दिल जी तो रहे है मगर जिंदगी कही और हैं
तुम्हारी चाहत तुम्हारे सपनो की हिपाजत की है तुम्हारी मासूम निगाहों की कसम मेरी रूह ने भी तुमसे मोहब्बत की है
तेरा नाम ही ये दिल रटता है ना जाने ये दिल तुझपे क्यू मरता है नशा है तेरे प्यार का इतना की तेरी ही याद में ये दिल रोता है
नजरे तुम्हें देखना चाहे तो आंखों का क्या कसूर हर पल तुम्हारी याद आए तो सांसों का क्या कसूर वैसे तो सपने पूछकर नहीं आते पर सपने आपके ही आए तो हमारा क्या कसूर