अजनबी तुम हो तो अंजान में भी हूं। रूको सब्र करो थोड़ा परेशान में भी हूं।
इस नफरत की दुनिया से हैरान में भी हूं। नाराज़ तुम हो तो उदास मैं भी हूं।
माना कि मोहब्बत का दुश्मन हैं जमाना तो में इसी चीज का दीवाना हूं।
मुझे क्या रोकेगा दुश्मन ऐ जमाना। में इसी जमाने का परवाना हूं।
मिटाकर मेरा आशियाना जमाना भी रोयेगा। मैं इस मुकाम का ठिकाना हूं।
अरे मिट गए मोहब्बत करने वाले को मिटाने वाले। उस्ताद तुम हो तो अफसाना में भी हूं।
इस कदर तुमसे हमें प्यार हों गया। दिल ने जिसे चाहा वो ही यार मिल गया। नजर से नजर मिली और दिल बेकरार हों गया। लब्ज़ तो खामोश थे मगर आंखों से वार हों गया। मासूम निगाहों का असर हों गया। पलको में प्यार नजर आ गया। इश्क का जादू सर पर चढ़ गया। मन मिलने को मजबूर हो गया। बेताबी का आलम दुरिया कम कर गया। इस कदर तुमसे हमें प्यार हों गया।
दिल मेरा टूटा है फिर तु क्यु रोता है। चुप हो जा मेरे यार प्यार में अक्सर यहीं होता है।
मोहब्बत करने वालो को मंजिल कहा मिलती है। इश्क करता है वो ही रोता है।